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विषय सूची:-
अध्याय इकाई प्रथम - भारतीय अनुबन्ध अधिनियम, 1872 [धाराएँ 1-75]
1. व्यापारिक (वाणिज्यिक) सन्नियम : एक परिचय 2. भारतीय अनुबन्ध अधिनियम, 1872 एक परिचय (धाराएँ 1-2] 3. अनुबन्ध : अर्थ, परिभाषा एवं वैध अनुबन्ध के लक्षण [धाराएँ 2-10] 4. ठहराव : अर्थ, प्रकार एवं अन्तर 5. प्रस्ताव, स्वीकृति, संवहन एवं खण्डन [धाराएँ 2-10] 6. पक्षकारों की अनुबन्ध करने की क्षमता अथवा अनुबन्ध करने के. योग्य पक्षकार [धाराएँ 11-12] 7. स्वतन्त्र सहमति । धाराएँ 13-22] 8. न्यायोचित प्रतिफल एवं उद्देश्य (धाराएँ 2(d) एवं 23-25] 9. स्पष्ट रूप से व्यर्थ घोषित ठहराव (धाराएँ 26-30 तथा 56] 10. सांयोगिक अथवा संयोगिक अथवा सम्भाव्य अनुबन्ध [धाराएँ 31-36] 11. अनुबन्धों का निष्पादन तथा भुगतानों का विनियोजन [धाराएँ 37-61] 12. अनुबन्धों की समाप्ति (धाराएँ 37-67] 13. अर्द्ध अथवा गर्भित अनुबन्ध अथवा अनुबन्ध द्वारा निर्मित सम्बन्धों के समान कुछ नाते (धाराएँ 68-72] 14. अनुबन्ध भंग (खण्डन) तथा अनुबन्ध भंग के उपचार अथवा परिणाम (धाराएँ 73-75]
इकाई द्वितीय - विशिष्ट अनुबन्ध - हानिरक्षा तथा गारण्टी, निक्षेप तथा गिरवी और एजेन्सी सम्बन्धी अनुबन्ध [धाराएँ 124-238]
1. हानि-रक्षा (क्षतिपूर्ति) तथा प्रत्याभूति अनुबन्ध [धाराएँ 124-147] 2. निक्षेप तथा गिरवी अनुबन्ध (धाराएँ 148-181] 3. एजेन्सी अथवा अभिकरण के अनुबन्ध [धाराएँ 182-238]
इकाई तृतीय - वस्तु विक्रय अधिनियम, 1930
1. वस्तु विक्रय अधिनियम, 1930- एक परिचय [धाराएँ 1-10] 2. शर्तें अथवा आश्वासन [धाराएँ 12-17] 3. विक्रय अनुबन्ध का प्रभाव - स्वामित्व तथा स्वतत्व (अधिकार) का हस्तान्तरण [धाराएँ 18-30] 4. विक्रय अनुबन्ध का निष्पादन (धाराएँ 31-44] 5. अदत्त विक्रेता के अधिकार, अनुबन्ध भंग के लिए वाद तथा नीलाम द्वारा विक्रय (धाराएँ 45-64] 6. किराया-खरीद ठहराव अथवा क्रयावक्रय ठहराव 7. सीआईएफ, एफओबी और एक्स-शिप अनुबन्ध |
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019
1. उपभोक्ता संरक्षण
इकाई चतुर्थ - विनिमय-साध्य अधिनियम 1881, संशोधित 2002, तक
1. विनिमय-साध्य लेख-पत्र या विलेख अथवा रुक्का अधिनियम - सामान्य परिचय (धाराएँ 1-25] 2. प्रतिज्ञा-पत्र, विनिमय-पत्र, चैक के पक्षकार [धाराएँ 26-45] 3. परक्रामण तथा प्रस्तुति [धाराएँ 46-77] 4. भुगतान तथा ब्याज, दायित्व से मुक्ति तथा अप्रतिष्ठित होने की सूचना [धाराएँ 78-98] 5. आलोकन तथा प्रमाणन, उचित समय प्रतिष्ठा के लिये स्वीकृति तथा भुगतान, क्षतिपूर्ति, रेखांकित चैक तथा हुण्डियाँ [धाराएँ 99-131] 6. खातों में अपूर्ण धनराशि की दशा में चैक के अप्रतिष्ठित होने पर दण्ड सम्बन्धी नवीन प्रावधान (विनिमय साध्य लेखपत्र संशोधित अधिनियम 2002 के अनुसार 6 फरवरी, 2003 से लागू) [धाराएँ 138-142]
सीमित दायित्व साझेदारी अधिनियम, 2008
1. सीमित दायित्व साझेदारी अधिनियम, 2008 |
लेखकगण : इस पुस्तक के लेखक श्री आर.सी.अग्रवाल एवं श्री संजय अग्रवाल हैं। श्री आर.सी.अग्रवाल श्री जैन स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बीकानेर के स्नातकोत्तर व्यवसाय विभाग के पूर्व प्राचार्य एवं अध्यक्ष हैं। श्री संजय अग्रवाल की शैक्षिक योग्यता में एम.कॉम.,एवं एफ.सी.ए शामिल है।
ISBN | 978-93-6247-208-3 |
Size (Cm) | 27 x 17 x 2 |
Weight (Gram) | 450 |
Pages | 395 |
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